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क्या करें जब हमें निराशा घेर ले
क्या करें जब हमें निराशा घेर ले
आशा और निराशा जीवन के दो पहलू है जो हमारे जीवन मे आते और जाते रहते है। आशा जीवन मे खुशिया भर देती है। मनुष्य एकदम से प्रसन्न रहता है । पर जब निराशा हमारे जीवन मे प्रवेश कर जाए तो हमारा जीवन एकदम से दुखो से भर जाता है। हर तरफ से हमे दुखो का पहाड़ टूटता दिखाई देता है। क्या करे क्या न करे के अधरझुल मे हम फंस जाते है। जीवन एकदम से नर्क जेसा लगने लगता है। कभी-कभी तो जीवन इतना निराश हो जाता है कि सकारात्मकता क्या होती है यह सोच भी नहीं पाते। कई बार तो आत्मा हत्या के विचार मन मे आने लग जाते है।
आखिर क्या है निराशा?
निराशा एक स्थिति है जो निम्न मनोदशा और काम के प्रति अरुचि को दर्शाती है। उदास व्यक्ति और दुखी, हताश हो सकता है, खाली, निराश, बेबस, बेकार, दोषी, चिड़चिड़ा या बेचैन होता है।
निराशा के लक्षण :
- उदासी
- व्याकुलता या घबराहट महसूस होना
- चिंता
- थकावट
- आत्म सम्मान में कमी
- चिड़चिड़ापन
- गुस्सा
जीवन मे निराशा क्यो आती है? :
चाहे कामकाजी जीवन हो, व्यक्तिगत संबंध, व्यापार मे घाटा, किसी और वजह से आर्थिक संकट, या फिर स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां, इन सभी कारणों से हमारे जीवन में निराशा के क्षण आते हैं। कुछ ऐसे क्षण जब हम अपनी शक्ति और सामर्थ्य को कम महसूस करने लगते हैं। खुद को असमर्थ और असहाय पाते हैं। लगने लगता है कि हम जीवन को आगे ले जाने में खुद को सामर्थ्यवान नहीं पा रहे हैं।
मुनि श्री प्रमाण सागर जी कहते है कि ” परिस्थितियों की मार खाकर के व्यक्ति हताश हो जाते हैं। जब भी विपरीत परिस्थिति सामने आती है, मनुष्य का मन टूट जाता है, घबरा जाता है, अब क्या करूं, कोई रास्ता नहीं। ऐसी विपरीत परिस्थिति में जब मन हताश होने लगे कि अब क्या करूं? तो संत कहते हैं- उस समय भी हताश होने की जरूरत नहीं है, परिस्थितियां है। हर मनुष्य के सामने सदैव एक ही स्थिति रहती है, ऐसी बात नहीं है। विकट परिस्थितियों का सामना तो हर किसी को करना पड़ता है”
जब निराशा हमे घेर ले तब क्या करना चाहिए? –
- अनुलोम विलोम प्राणायाम करे
- मेडिटेशन करे।
- अपने मनपसंद का म्यूजिक भजन जेसे हरी ॐ शरण जी / अनूप जलोटा जी के भजन
या आशावादी गाने सुने । निराशावादी गाने बिलकुल भी न सुने - कॉमेडी फिल्मे देखे
- गायत्री मंत्र का पाठ करे
- अपने इष्ट देव का ध्यान करे
- निराशा या नकारात्मक बात करने वाले लोगो से दूर रहे ।
- ऊर्जावान, जिंदादिल, सकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति की संगत करे या सकारात्मक व्यक्ति को अपना दोस्त बनाए। और उससे बात करे।
- अपने माता पिता से या जो आपको अति प्रिय हो उससे बात करें।
- किसी को अपना आदर्श बनाइये
- अपनी मनपसंद का शाकाहारी खाना बना कर खाए
- आत्मविश्वास बनाये रखे
- अच्छी किताबें पढ़े – जेसे The Secrete, इत्यादि
- पॉजिटिव सोच रखिये
सारांश :
ये जो उपरोक्त बाते बताई गई है का अनुसरण करने से हमे निराशा से मुक्ति पाने मे मदद मिलती ह। ये कहना तो आसान है पर करने मे कठिनाई आती है। जिस पर बीत रही है वो ही इसको समझ सकता है। पर हा इतना जरूर है कि पहले हमे ये विश्वास करना होगा कि ये जो निराशा का दौर है वो स्थायी नहीं है और समय के साथ ये भी खत्म होने वाला है। इसके बाद हमे उपरोक्त बताए गए उपायो मे से जो भी हम कर सकते है करना चाहिए जरूर सफलता मिलेगी। क्योकि इंग्लिश मे एक कहावत है कि “Nothing is Permanent” मैंने कई संतो को कहते हुये सुना है कि “ये समय भी कट जाएगा।”
आपने फिल्मी गायक K L Sahgal द्वारा गया हुआ 1939 मे आई हुयी दुश्मन फिल्म का निम्न गाना तो सुना ही होगा, इस गाने मे निराशा आने पर क्या करना चाहिए के बारे मे बहुत ही सटीक तरीके से बताया गया है:
करू क्या आस निरास भई
दिया बुझे फिर से जल जाए
रात अँधेरी जाए, दिन आये
जब न किसीने राह सुझाई
दिल से इक आवाज़ यह आई
हिम्मत बाँध
संभल बढ़ आगे
रोक नहीं है कोई
कहो न आस निरास भई
करना होगा खून का पानी
देना होगी हर कुर्बानी
हिम्मत है इतनी तो समझ ले
हिम्मत है इतनी तो समझ ले
आस बँधेगी नयी
आस बँधेगी नयी
कहो न आस निरास भई
तो दोस्तो इस गाने के बोल हमे बहुत बड़ा संबल देते है कि कुछ भी हो जाए हमे निराशा से नहीं घिरना है, आज रात है तो कल सवेरा होगा ही।
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