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जब कोई आपकी कदर ना करे तो क्या करें
जब कोई आपकी कदर ना करे तो क्या करें
हर कोई प्यार व इज्जत का भूखा होता है। अगर हम किसी को इज्जत देते है तो ये आशा भी करते है कि वो भी हमारी कद्र (Value) करे, हमारी भावनाओ की कद्र करे। पर अक्सर ऐसा होता है कि हम तो सामने वाले की कद्र करते है पर सामने वाला हमारी कद्र नहीं करता है। ऐसी स्थिति मे हमे बहुत निराशा होती है। हम अवसाद से भर जाते है। हम सोचने लगते है कि हम मे ऐसी क्या कमी है कि सामने वाला हमारी कद्र ही नहीं करता है जबकि आप उसकी भरपूर कद्र करते है। ये हमारे जीवन मे एक भयानक स्थिति पेदा कर देती है, हम निराशा से घिर जाते है। हमारे अन्दर हीन भावना घर कर जाती है।
पहले तो हम ये समझे कि कद्र (Value) है क्या?
जब कोई इंसान किसी को प्यार, सम्मान, सत्कार, सेवा आदि देता है तो उसे कद्र या कदर करना कहते है. मतलब कि हम सबको प्यार दे , सम्मान दे , सेवा करे व सत्कार करे। पर जब वो ही व्यक्ति हमे इनमे से कुछ भी न दे तो ऐसी स्थिति मे हम क्या करे कि ना तो हम निराश होवे ओर लोग हमारी कद्र भी करने लगे? इसके लिए कुछ निम्न बातों का अगर ध्यान रखा जाए तो लोग हमारी भी कद्र करने लगेगे:
- सब से पहले तो हमे अपने आपका आत्म निरीक्षण करना चाहिए कि ऐसी हममे क्या कमी है कि हम सामने वाले कि कद्र कर रहे पर वो हामरी कद्र नहीं कर रहा है ?
- कही हमने अनजाने मे कुछ ऐसा तो नहीं कह दिया या कर दिया कि उसेक सम्मान को ठेस पहुच गई हो।
- जब कोई आपकी कद्र न करे तो परेशान मत हो। ये सोचो की उस आदमी को आपकी कद्र की पहचान नहीं है। ये आपका नुकसान नहीं बल्कि उसका नुकसान है कि उसने आपकी कद्र की कद्र नहीं की।
- जब आपको ये लग जाए कि आपने अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर ली सामने वाले की कद्र करने की पर फिर भी वो आपकी कद्र नहीं कर रहा है तो आप उस से दूर हो जाओ।
- कही हम ज्यादा तो नहीं बोल रहे है कि सामने वाला हमारी बातों से बोर हो जाए और हमारी कद्र करना छोड़ दे?
- कही हम लोगो को ध्यान से सुन रहे है कि नहीं। अगर हम लोगो को बात ध्यान से नहीं सुन रहे है तो वो हमारी कद्र नहीं करेगा?
- कही हम खुद को बड़ा चड़ा कर तो नहीं दिखा रहे है?
- कही हम हर वक़्त शिकायत तो नहीं करते रहते है।?
- कही हम हर वक्त लोगो को सलाह तो नहीं देते रहते है।?
- कही हम हर वक़्त लोगो की कमिया तो नहीं निकालते रहते है?
- कही हम अपने को लोगो से ज्यादा अच्छा तो नहीं show करते हे?
- कही हम superiority complex से तो ग्रसित नहीं हे?
निष्कर्ष :
अगर हम अपने हिसाब से सामने वाले की कद्र कर रहे हे ओर वो हमारी कद्र नहीं कर रहा है तो हमे बिना निराश हुये उसकी कद्र करते रहना चाहिए। वो गीता का श्लोक है न कि
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।
भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से अर्जुन से कहना चाहते हैं कि मनुष्य को बिना फल की इच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करना चाहिए। यदि कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो आप पूर्ण निष्ठा से साथ वह कर्म नहीं कर पाओगे। निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है। इसलिए बिना किसी फल की इच्छा से मन लगाकार अपना काम करते रहो। फल देना, न देना व कितना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो क्योंकि परमात्मा ही सभी का पालनकर्ता है।
इसीलिए अगर सामने वाला अपनी कद्र नहीं कर रहा है तो कोई बात नहीं हमको उसकी कद्र करते रहना चाहिए। एक न दिन उसे ये बात समझ मे आ जायेगी ओर वो हमारी कद्र करने लगेगा।
हमने इस ब्लॉग मे ये जाना कि लोग हमारी कदर क्यों नहीं करते हैं और साथ ही हमने उन कारणों के बारे में भी जाना जिनकी वजह से अक्सर लोग हमारी कद्र नही करते हैं। कोई भी इंसान यूं ही हमारी कद्र नही करता है जब तक कि हम उसे कोई एक ठोस कारण नहीं देंगे हमारी कद्र करने का । इसीलिए इस ब्लॉग मे जो भी बातें ऊपर बताई गई हे उन सभी को अपने दिमाग में रखते हुए हमे अपने अंदर कुछ ऐसा विकसित करना है, जिससे कि लोग खुद ब खुद ही हमारी कद्र करना जान जाएं व हम व सामने वाला दोनों एक दूसरे के कद्र करने लग जाए।
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