कैसे हो हमारी जिंदगी हल्की फुल्की?

कैसे हो हमारी जिंदगी हल्की फुल्की?

हवा में इठलाती, लहराती रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर मन में यह विचार आ सकता है कि काश! हमारी जिंदगी में भी इसी तरह की मस्ती, बेफ़िक्री और आनंद होता। ये तो इंसान की फितरत है कि उसे सदा दूसरों की दशा अच्छी और ख़ुद की स्थिति बुरी लगती है। पतंग के छोटे-से जीवन में भी उतार-चढ़ाव, अस्थिरता और अनिश्चितता जैसी तकलीफें होती हैं। सच कहें, पतले काग़ज़ की बनी, छोटी-सी जिंदगी पाने वाली पतंग फिर भी मस्ती और आनंद. 

इसिलिए आज हम इस पोस्ट मे चर्चा करेंगे कि किस प्रकार हम अपनी ज़िंदगी को  हल्की फुलकी बना सके?  

ग़लत निर्णय का बोझ: जिंदगी में हमें अनेक निर्णय लेने पड़ते हैं। कई बार ये ग़लत भी साबित हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए जिंदगीभर पछताने और दुखी रहने से कोई फायदा नहीं होता। इसके बजाय उन अच्छे निर्णयों के लिए खुद को सराहें, जिनके कारण आप आज यहां तक पहुंचे हैं। ध्यान रखें, गलत निर्णयों की संख्या कम और सही निर्णयों की अधिक होती हैं।

दुनियाभर के कामों का बोझ: कुछ लोगों की आदत होती है कि वे पूरी दुनिया का काम अपने सिर पर लाद लेते हैं। चाहे परिवार की बात हो या रिश्तेदार की अथवा दफ़्तर की, ऐसा लगता है जैसे हर किसी की मदद का ठेका उन्होंने ही ले रखा है। अगर आप भी इनमें से हैं, तो इस बोझ को इसी वक़्त उतार फेंकिए। उतना ही काम लीजिए, जिससे आपकी जिंदगी दूभर न हो।

रिश्तों से अपेक्षाओं का बोझ: कई लोग 24 घंटे इन्हीं बातों में उलझे रहते हैं कि फलां रिश्तेदार ने हमें शादी में ठीक से मान-सम्मान नहीं दिया, वहां से न्योता ढंग से नहीं आया, अमुक के घर गए तो सम्मान नहीं किया, खाने के लिए नहीं पूछा, ठीक से बात नहीं की, हम पर ध्यान नहीं दिया आदि। ध्यान रहे, अपेक्षाएं सिर्फ़ दुख-दर्द देती हैं, इसलिए ऐसी बातों पर ज्यादा ध्यान न दें।

कमाई से असंतोष का बोझ:इच्छाएं और नींद कभी पूरी नहीं होतीं। यकीन मानिए दुनियाभर में आपको ऐसे लोग गिनती के मिलेंगे, जो अपनी आय से संतुष्ट रहते हैं। जैसा कि कहा गया है संतोषम् परम् सुखम्। ये ही लोग दुनिया के सबसे सुखी इंसान होते हैं। आप लगातार पैसा कमाने के पीछे भागती रहेंगे/रहेंगी, तो जो आपके पास मौजूद है उसका उपभोग कभी नहीं कर पाएंगे।

सोशल स्टेटस का बोझ: कई लोग आमदनी न होने के बावजूद अपने पड़ोसी, मित्रों या रिश्तेदारों के बीच अपना रोब क़ायम रखने व उनकी बराबरी करने के लिए आए दिन महंगे घरेलू उपकरण, गैजेट्स, कपड़े आदि खरीदते हैं या फिर जरूरत न होने के बावजूद महंगा फ्लैट या कार ख़रीद डालते हैं। इसके बाद लोगों के क़र्ज़ या ईएमआई चुकाने में पूरी जिंदगी बिसूरते हुए गुजारते हैं। इसलिए उतने ही पैर पसारें जितनी बड़ी चादर हो।

भविष्य की चिंता का बोझ: 

कई लोग अच्छी कमाई, अच्छे जीवनसाथी, अच्छे व आज्ञाकारी बच्चों के होते हुए भी अचानक अवसाद के सागर में गोते लगाने लगते हैं। जानते हैं क्यों? वे इस सोच में डूब जाते हैं कि कल को नौकरी छूट गई, जीवनसाथी को कुछ हो गया, बच्चे नालायक़ निकल गए तो क्या होगा?

इसीलिए हमारी राय है कि सुखी रहना है तो वर्तमान में जिएं।

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