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आलोचना से कैसे निबटें
कोई हमारी तारीफ करे, तो बहुत अच्छा। पर जैसे ही कोई हमारी खामियां गिनाने लगता है, हम सब नकारात्मक रवैया अपनाने लगते हैं। बहुत ज्यादा शांत स्वभाव के लोगों को भी आलोचना से निबटने का सलीका नहीं आता। इस पोस्ट में विस्तार से बात करेंगे की हम आलोचना से कैसे निबटें ?
आज मैं बात कर रहा हूँ की आलोचना से कैसे निबटें आलोचना के मकसद को कैसे समझें आलोचना का सामना करते समय हमको शालीनता का परिचय देना होता है पर हम ऐसा करना भूल जाते हैं। हम क्रोधित हो जाते हैं।
शायद हमने सीखा ही नहीं या फिर हमें सिखाया ही नहीं गया। तभी तो जैसे ही कोई हमारे बारे में कुछ भी नकारात्मक बात कहता है, हमें ऐसा महसूस होने लगता है कि हमारे उपर निजी तौर पर हमला किया जा रहा है। जबकि वाकई ऐसा हर बार होता नहीं है।
आलोचना का सामना करने का सलीका आपको सीखना होगा, तभी तो आप अपनी जिंदगी में आगे बढ़ पाएंगे , वरना एक जगह अटक जाने की आपकी संभावना बन जाएगी। आलोचना को सकारात्मक तरीके से स्वीकार नहीं कर पाने का एक और नुकसान यह है कि धीरे-धीरे दोस्त, रिश्ते और यहां तक कि आपके सहकर्मी भी आपसे दूर होते चले जाते हैं।
यदि आप अपनी जिंदगी में इस स्थिति तक नहीं पहुंचना चाहते हैं, तो आलोचना का सामना करने का गुर आपको सीखना होगा। अपनी बुराई सुनते ही मूड खराब कर लेना या फिर रोने लगना समस्या का समाधान नहीं है। नकारात्मक फीडबैक से लड़ने में यह बहुत ही साधारण सा तरीका आपकी हेल्प करेगा।
अपना ध्यान केंद्रित करें
अगर आज आपके बॉस ने किसी काम को लेकर आप पर नकारात्मक टिप्पणी की है, तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप हर दिन खराब काम करते हैं और न ही तुरंत बॉस के सामने अपनी सारी उपलब्धियां गिनाकर आपको खुद को सही साबित करने की जरूरत है।
ऐसी स्थिति में किसी भी तरह की प्रतिक्रिया देने से पहले जरा ठहरे और सोचने की कोशिश करें. कि वो कौन से गुण हैं, जो आपकी पहचान हैं। आपका दिन कितना भी अच्छा या खराब क्यों न हो, आपके इन गुणों में बदलाव नहीं आने वाला है। कई बार चुपचाप दूसरों की बातों को सुन लेना चाहिए।
हमेशा नकारात्मक नहीं होती आलोचना अगर हम आपको कहें कि आलोचना हमेशा नकारात्मक नहीं होती। वह सकारात्मक भी होती है और एक व्यक्ति के रूप में आपको आगे बढ़ने में उपयोगी साबित हो सकती है।
ऐसा भी तो हो सकता है कि सामने वाला आपकी भलाई चाहता है और इसलिए आपकी खामियों को गिना रहा है, जहां आपको सुधार करने की जरूरत है तो अगली बार जब आपका कोई सहकर्मी, दोस्त या रिश्तेदार आपको कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया दे, तो यह जरूर याद रखें कि हो सकता है कि वह असल में आपकी भलाई चाहता हो।
अगर आप आलोचना का सामना डिफेंसिव होकर करते हैं, तो इस बात की संभावना है। कि आपका खुद की क्षमताओं पर विश्वास कम हो। आप अपनी आलोचना सुनकर बहुत ज्यादा गुस्से में आ जाते हो या फिर जंक फूड आदि खाकर इस तरह की आलोचना का सामना करते हो।
पर, यह सब समस्या का समाधान नहीं है। इससे आपको कोई फायदा नहीं होने वाला आपको अपने आत्मविश्वास को मजबूत बनाने की दिशा में काम करना होगा। अगर कोई आपका मजाक उड़ाए, तो उसे अनदेखा करना सीखें।
आलोचना के सकारात्मक पक्षों को समझना सीखें व उसका इस्तेमाल खुद को बेहतर बनाने में करें। सामने वाला आपकी आलोचना करे, तो तुरंत उस पर प्रतिक्रिया देने या सफाई देने से बचें। सामने वाले को विस्तार से अपनी बात रखने का मौका दें।
फिर सोचें की वह ऐसा क्यों कह रहा है। कहीं वह सही बात तो नहीं कह रहा। हर बात की प्रतिक्रिया देना जरूरी नहीं। ऐसे मामलों में चुप रहना ही आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।
अगर आप अपनी प्रतिक्रिया देना ही चाहते है तो सामने वाली पर आरोप लगाने की जगह अपनी राय देते समय ‘मैं’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए करें कि ऐसी मेरी राय है। इससे पता चलेगा कि आप सामने वाले के फीडबैक पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
कभी नेल्सन मंडेला जैसी किसी शख्सियत के बारे में सोच कर देखिए। उन्होंने अपने जीवन में जो सहा है, उनकी जगह दूसरे लोग होते तो कब के टूट चुके होते। उस परिस्थिति से वह एक सौम्य शक्ति के तौर पर उभर कर सामने आए। एक ऐसी शक्ति, जो तब पैदा होती है, जब अपनी पहचान किसी चीज़ से स्थापित नहीं की जाती।
समाज में रहते हुए आप आलोचना से भाग नहीं सकते। इनके प्रति असंवेदनशील होना भी इस समस्या का समाधान नहीं है – ऐसा करके आप बस उससे दूर रहने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आप सच्चा जवाब चाहते हैं तो आपको खुद पर काम करना होगा।
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