- गायत्री मंत्र की उपचार शक्ति: क्या यह बुखार का इलाज कर सकता है?
गायत्री मंत्र की उपचार शक्ति: क्या यह बुखार का इलाज कर सकता है?
हिंदू शास्त्रों में गायत्री मंत्र ‘ऊं भूर्भुव स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्’ को शास्त्रकार मंत्र कहा गया है। गायत्री मंत्र के संयोग से ही महामृत्युंजय मंत्र ‘ऊं नमः शिवाय’, संजीवनी मंत्र के रूप में परिवर्तित हो जाता है। ब्रह्म शक्ति की प्राप्ति इसी महामंत्र की साधना से होती है। लेकिन इसका अनुष्ठान करते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है।
यह अत्यधिक प्रभावशाली व चमत्कारिक मंत्र है। इस मंत्र से कई तरह के रोगों का उपचार भी किया जा सकता है। जो लोग स्वयं इस मंत्र के अनुष्ठान करने में सक्षम न हों, वे किसी विद्वान पुरोहित से यह कार्य करवा सकते हैं।
हाँ यह सही है कि गायत्री मंत्र से बुखार का इलाज़ किया सकता है।
अगर रोगी को तेज बुखार आ रहा हो तो एक लोटा जल लेकर उसमें पीले फूल रखें और गायत्री मन्त्र जानकार व्यक्ति रुद्राक्ष की माला के साथ 108 बार मन्त्र पढ़ कर फूंक मारता रहे। माला पूरी हो जाने पर उस जल की दो दो चम्मच रोगी को तीन तीन घंटे के अंतर से पिलायें तो तुरन्त ही ज्वर का प्रकोप धीरे-धीरे क्षीण होता चला जावेगा। यदि ज्यादा ज्वर हो तो इसी जल की पट्टी रखें। साथ में डॉक्टरी सलाह भी लें।
मन्त्र यह बनेगा- ॐ भूर्भुवः स्वः । तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्। हू हूं।
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