ऐसा कोन मोटा है जो सेहतमंद है?

ऐसा कोन मोटा है जो सेहतमंद है?
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ऐसा कोन मोटा है जो सेहतमंद है?
ऐसा कोन मोटा है जो सेहतमंद है?

ऐसा कोन मोटा है जो सेहतमंद है?

जी हॉ हम किसी मोटे व्यक्ति की बात नहीं कर रहे है। हम मोटे अनाज की बात कर रहे हैं । अनाज का मोटा रूप बहुत ही गुण भरा है । पहले तो हम जाने कि मोटे अनाज क्या है?  हम सब बरसो से इनके नामो से परिचित है जैसे बाजरा, मक्का, ज्वार, जई, कोदो, कुटकी रागी और सामा ये सब मोटे अनाज की गिनती मे आते हैं । हम इनके स्वाद से तो मौसम के अनुसार परिचित तो है पर इनके गुणो से अपरिचित है । मोटे अनाज के गुणो को फिर से जानने समझने तथा जीवन मे शामिल करने का समय आ गया है । इसे हम ही नही दुनिया मान रही है । 2023 को “मोटे अनाज का अंतरराष्ट्रिय वर्ष” घोषित किया गया है । 70 देशो ने इसे मनाने की सहमति दी है । 

इतिहास ग़वाह है कि हम भारतीय शुरूआत से मोटा अनाज ही खाते रहे हैं । गेंहू व महीन आटो का चलन बाद मे हुआ । ग्रामीण क्षेत्रों मे तो फिर भी मोटा अनाज ही चलता रहा। 

अनाज में क्या ख़ास ?

मोटे अनाज गुणों की खान हैं। इनकी सबसे बड़ी ख़ासियत है इनमें पाया जाने वाला रेशा, जो खूब मात्रा में मौजूद होता है। इस रेशे के घुलनशील और अघुलनशील दोनों ही रूप हमारे शरीर में पाचन तंत्र के लिए वरदान की तरह काम करते हैं। घुलनशील रेशा पेट में क़ुदरती तौर पर मौजूद बैक्टीरिया को सहयोग करके पाचन को बेहतर बनाता है। वहीं अघुलनशील रेशा पाचन तंत्र से मल को इकट्ठा करने और उसकी आसान निकासी में मदद करता है। यह पानी भी ख़ूब सोखता है यानी व्यक्ति को मोटा अनाज खाने के बाद प्यास भी खूब लगती है, जो पाचन तंत्र के लिए बहुत स्वास्थ्यकर है।

इसका मतलब यह हुआ कि महीन अनाज खाने और व्यायाम से दूर रहने के चलते जो कब्जियत और शरीर के फूलने जैसी बिन बुलाई बीमारियां हम झेलते हैं, मोटा अनाज उनका सटीक उपचार है। गेहूं में मिलने वाला प्रोटीन अनाजों में नहीं होता, सो इनसे पाचन तो अच्छा होगा ही।

और भी गुण हैं इनमें …:

कैलोरीज और प्रोटीन की अनियमितता वाले कुपोषण के बारे में हम जानते हैं लेकिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी भी एक तरह का कुपोषण उत्पन्न करती है, जिसका आसानी से पता नहीं चलता। इसका अर्थ है आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी जैसे पोषक तत्वों की कमी। उन वयस्कों और बच्चों में यह कमी आम है जो आटा या मैदे का उपयोग करते हैं। मोटे अनाज इन सूक्ष्म तत्वों के अच्छे स्रोत हैं। अगर भोजन में मोटे अनाजों को शामिल करें, तो अनेक लाभ मिलेंगे।

आसान है उगाना...

मोटे अनाजों को घास की तरह उगने वाला अनाज भी कहा जाता है, क्योंकि ये तेजी से बढ़ जाते हैं और इनके लिए बहुत अधिक संसाधनों की भी जरूरत नहीं होती। इन पौधों में छोटे-छोटे दानों के रूप में मिलता है ये अनाज, जिसका चाहे दानों के रूप में इस्तेमाल हो या आटे के रूप में या चीला बनाने, चाहे खीर या लड्डू बनाने, ये हमारी सेहत के लिए सोने-सा काम करते हैं।

कैसे करें शुरूआत ? …

आरंभ करने और आदत डालने के लिए अपने नियमित आटे में आधा मोटा अनाज मिलाकर रोटियां बनाइए। जब आदत पड़ जाए तो मोटे अनाज को तीन-चौथाई कर लीजिए और फिर पूरी तरह से इसी का इस्तेमाल करें।

इनकी खुबियो से परिचित होईये :

बाजरा, ज्वार व रागी: 

बाजरा लौहलवण से भरपूर होता है इसलिए यह खून की कमी को दूर करने में बहुत सहायक है। ज्वार हड्डियों के लिए अच्छी मात्रा में कैल्शियम, खून के लिए फॉलिक एसिड व कई अन्य उत्तम पोषक तत्व प्रदान करता है। इसी प्रकार से रागी एकमात्र ऐसा अनाज है जिससे कैल्शियम भरपूर मिलता है। और जो लोग दूध नहीं लेते लेकिन इसका सेवन करते हैं, उनमें कैल्शियम की कमी नहीं होती। 

हालांकि सभी मोटे अनाज उतनी ही मात्रा में प्रोटीन देते हैं जितना कि गेहूं-चावल से मिलता है, यानी कि 100 ग्राम कोई भी मोटा अनाज खाएंगे तो 7-12 ग्राम तक का प्रोटीन हमें मिलेगा। परंतु अंतर ये है कि प्रोटीन जो अमीनो एसिड का बना होता है इसकी गुणवत्ता गेहूं और चावल के प्रोटीन से बेहतर पाई गई है। 

मक्का…

मक्के का पीला रंग ये दर्शाता है कि इसमें विटामिन-र यानी वो विटामिन जो त्वचा और आंखों के लिए अच्छा होता है और बीमारियों से लड़ने की ताक़त देता है, बहुत अधिक होता है। 

जौ: 

ये बहुत सारे सूक्ष्म पोषक तत्वों का भंडार है। इसमें ख़ासकर मैंगनीज और सेलेनियम पाया जाता है जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार होता है। यह लड शुगर नियंत्रित करने के लिए आवश्यक होता है। इसी के साथ-साथ क्रोमियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, विटामिन बी 1 जिसे थायमिन कहते हैं और नायसिन का भी अच्छा स्रोत होता है।

मज़बूती बेमिसाल: 

मोटे अनाजों की खेती करना बड़ा आसान है। इनके पौधों में सूखा सहन करने की क्षमता बहुत होती है। फसल पकने की अवधि कम होती है। उर्वरक, खाद की न्यूनतम मांग के कारण लागत कम व रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत होती है।

बंजर भूमि व विपरीत मौसम में भी ये अनाज उगाए जा सकते हैं।

दूर हो जाएंगे रोग…

महीन आटे जैसे मैदा की हमारे खाद्यों में भरमार है। इनके अधिक उपयोग से हृदय रोग और मधुमेह को आमंत्रण मिलता है। मिला भी है। हम दुनिया की मधुमेह राजधानी बन चुके हैं। मोटे अनाज इस लड़ाई में हमारी मदद कर सकते हैं। अगर नियमित रूप से ज्वार, बाजरा, रागी, कंगनी आदि का उपयोग किया जाए, तो हृदय व पैनक्रियाज की सेहत को संभाला जा सकता है। शरीर को नुक़सान पहुंचाने वाली कई वस्तुओं की निकासी के लिए ये बहुत उपयोगी हैं। ये कई प्रकार के कैंसर से बचाव के लिए उपयोगी सिद्ध हुए हैं।

तो दोस्तो आपने दैखा कि किस प्रकार ये मोटा हमारे लिये सेहतमंद है । हमे अब पुनः इनको चलन मे लाना होगा अगर हम स्वस्थ रहना चाहते हैं तो ।  इसीलिए इसे सुपर फूड भी कहा गया है। 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि bigfinder.co.in किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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