क्या करे अगर धन प्रबंधन गड़बड़ा जाये तो?
आजकल हर कोई धन प्रबंधन के बारे मे सोचता है और कोशिश करता है कि उसका धन प्रबंधन सही तरीके से चलता रहे पर आर्थिक मुश्किलें गाहे-बगाहे सिर उठाती रहती हैं। कभी संकट इतना बड़ा हो जाता है कि उसकी मियाद बड़ी ही होती नजर आती है। घर हो या विश्व, आर्थिक उलट-पलट पर हम नियंत्रण तो नहीं कर सकते, लेकिन इसके लिए हम अपनी तैयारी जरूर कर सकते हैं। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि आपको वित्तीय तौर पर क्या-क्या तैयारी करनी है ताकि कैसे भी संकट का असर आपके जीवन पर न हो।
कभी धन प्रबंधन नहीं गड़बड़ाए इसके लिए निम्न तरीके अपनाए :
आपात निधि तैयार रखें:
संकट के समय आपात निधि यानी इमरजेंसी फंड सबसे बड़ा सहारा होता है। नौकरी छूटने, वेतन में कटौती व किसी भी प्रकार के व्यवसाय में नुकसान के बाद आपातकालन निधि की आवश्यकता होती है। ऐसे में कम से कम 6 से 9 महीने के ख़र्च के बराबर राशि को इमरजेंसी फंड के तौर पर रखना जरूरी है। मिसाल के तौर पर, अगर ईएमआई, घर का राशन और अन्य जरूरतों को मिलाकर महीने में 30-40 हजार रुपये खर्च होते हैं तो 6 महीने के हिसाब से आपके पास 2-3 लाख रुपये आपातकालीन निधि के तौर पर सुरक्षित होने चाहिए। इस फंड को घर में न रखकर बैंक में फिक्स्ड डिपाजिट या म्यूचुअल फंड कंपनी के लिक्विड म्यूचुअल फंड में रखना चाहिए।
अपने खचों पर ध्यान दें:
खर्च कम से कम करने की कोशिश करें। किसी भी वित्तीय समस्या से बचने के लिए या अन्यथा भी, अवांछित ख़र्च कम कर दें। बाहर खाने के बजाय घर पर खाना शुरू करें, इससे न केवल बचत होगी बल्कि स्वस्थ भी रहेंगे। नया स्मार्टफोन लेने, दूर-दराज की नई-नई जगहों पर घूमने या किसी अन्य बड़ी ख़रीदारी जैसे अनावश्यक खर्च करने से बचें।
निवेश पर भी ध्यान दें:
आपके आय के माध्यम यानी आपने कहां-कहां निवेश किया है उसका पोर्टफोलियो भी जांचें। अपनी जोखिम लेने की क्षमता को संशोधित करें और शेयर बाजार जैसे सभी उच्च जोखिम वाले निवेशों से बाहर निकलने की कोशिश करें। लेकिन आपको ये क़दम अपने वित्तीय उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ही बढ़ाना है। यदि आपके लक्ष्य दीर्घकालिक हैं और पर्याप्त समय सीमा है, तो संतुलन बनाते हुए निवेश कर सकते हैं। यदि लक्ष्य अल्पावधि है या आप अगले दो-तीन वर्षों में जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके होंगे, जैसे रिटायरमेंट, बच्चों की शादी, शैक्षिक प्रवेश आदि, तो जोखिम भरे निवेशों को छोड़ना बेहतर है। इसके बजाय डेट फंड (म्यूचुअल फंड में निवेश का एक प्रकार) में निवेश करें। डेट फंड के अलावा फिक्स्ड डिपॉजिट भी कर सकते हैं, इसकी दरें फ़ायदा देंगी जो मुद्रास्फीति की दर से ऊपर हैं। निवेश के पोर्टफोलियों के धन का एक बड़ा हिस्सा बैंक में फिक्स डिपॉजिट जरूर करें।
कर्ज़ की देनदारी कम करें:
उथल-पुथल उन पर भारी पड़ सकती है। जिन पर कर्ज का बोझ है। आप पर कितना कर्ज है. उसकी जांच करें। मोबाइल और टीवी या क्रेडिट कार्ड आदि जैसे अल्पावधि कर्ज लंबे समय तक न रखें, जितनी जल्दी हो सके इनका भुगतान करें। यदि भविष्य में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है तो इन छोटे-छोटे कजों को चुका पाना मुश्किल हो सकता है। सभी अनावश्यक खचों में कटौती करें और इसका उपयोग बड़े कजों का भुगतान करने में करें। होम या कार लोन जैसे दीर्घकालिक ऋण का भुगतान नियमित रूप से करते रहें। इसके अलावा किसी से पैसे उधार लेने से भी बचें क्योंकि थोड़ा-थोड़ा पैसा कब बड़ी रकम बन जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा।
आय का दूसरा स्रोत तलाशें:
जॉब के साथ-साथ आय के अन्य जरिए भी तलाशिए । उनमें से एक आय पर जीवन बसर करें और अन्य आय सुरक्षित करते जाएं। मिसाल के तौर पर, नौकरी से आपको हर महीने 30 हजार हासिल होते हैं और फ्रीलांसिंग से महीने के पांच हजार मिल रहे हैं तो पांच हजार रुपयों को सुरक्षित करें। इसी तरह अगर कोई मकान या दुकान किराए पर दी है तो पूरा या उसका आधा हिस्सा सुरक्षित करें।
हम आशा करते है कि अगर आपने उपरोक्त सलाह को आजमाई तो निश्चित रूपो से आपका धन प्रबंधन नहीं गड़बड़ाएगा।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि bigfinder.co.in किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।