Your cart is currently empty!
क्यू फेल होते हैं FMCG कंपनीयो के डिस्ट्रीब्यूटर्स?
क्यू फेल होते हैं FMCG कंपनीयो के डिस्ट्रीब्यूटर्स?
आज हम विस्तार मे चर्चा करेंगे कि क्यु फेल होते हैं FMCG कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स? मैने कई FMCG कंपनियों के डिस्ट्रीब्यूटर्स को फेल होते देखा है । मैने कई ऐसे डिस्ट्रीब्यूटर्स को देखा है जिन्होंने अपना काम तो बहुत जोरशोर से किसी नामी गिरामी कंपनी की एजेंसी लेकर शुरू तो किया पर कुछ समय बाद देखा गया कि या तो उनको व्यापार मे घाटा हो गया या कंपनी वालो ने कोई दुसरा डिस्ट्रीब्यूटर बना दिया, या उन्होने खुद ही काम बंद कर दिया ।
आखिर क्यु ऐसा हो रहा है? वो क्या वजह है कि व्यापार मे घाटा हो रहा है, क्यु कंपनी कुछ समय बाद दुसरा डिस्ट्रीब्यूटर बना देती है, क्यु वो अपना व्यापार बंद कर रहे हैं ? इसके एक नही कई निम्नलिखित कारण हो सकते हैं जिसकी वजह ये डिस्ट्रीब्यूटर्स फेल हो रहे हैं :
- व्यापार संभालने वाला व्यक्ति का अकेला होना : अगर कोई व्यापार संभालने वाला व्यक्ति परिवार से अकेला हो और उसका परिवार से कोई भी व्यक्ति का साथ नही हो तो सब कामो पर निगरानी नही रख सकता है । इस वजह से पुरे समय वो सब गतिविधियो पर ध्यान नहीं रख सकता है। ऐसे मे डिस्ट्रीब्यूटर को क्या करना चाहिए? घर मे अगर पिता या माता या पत्नी किसी को भी अपने प्रतिष्ठान मे आने को कहे कि जब वो अन्य जरूर काम कर रहा हो तो आकर ऑफिस में बैठे। ताकि स्टाफ मे ये मैसेज जाये कि हम पर नज़र रखी जा रही है ।
- घर वालों को सही बात नहीं बताना और खुद ही सारे फेसले लेना । कई बार घर वाले जो व्यापार संभाल रहा है से कोई बात पूछते है तौ वो डर के मारे सही स्थिति नहीं बता कर सब कुछ अच्छा बताता है। ये बहुत ही खराब स्थिति हो जाती है। मैने एक डडिस्ट्रीब्यूटर को देखा है कि वो खुद अकेला व्यापार संभाल रहा था। घर वाले जब भी व्यापार की स्थिति उससे पुछते तो वह हर समय कहता कि सब अच्छा है । जब भी घर वाले जितने पैसे मांगते वो बिना कुछ ना नुकर किये पैसे दे देता । जबकि वास्तविकता मे उसे व्यापार मे घाटा हो रहा था । पर संकोचवष वो घर वालो को बताता नही था यह सोच कर कि घर वाले परेशान हो जायेंगे । ऐसी स्थिति मे डिस्ट्रीब्यूटर को क्या करना चाहिए? उसे घर वालो को सही वस्तुस्थिति बता देनी चाहिए । ताकि घर वाले भी कोई फिजूलखर्ची ना करे व उसकी मदद कर सके ।
- स्टाफ द्वारा धोखाधड़ी करना। कई बार बाजार में उधारी देनी पड़ती हैं । संबधित स्टाफ की जिम्मेदारी होती है कि वो उधारी समय पर लेकर आये । संबधित स्टाफ की नियत सही नहीं हो तो वो बाजार से उधारी तो उठा लेता है पर डडिस्ट्रीब्यूटर को जमा नही कराता है । और हर बार कुछ बहाना डिस्ट्रीब्यूटर को बना देता है जैसे कि व्यापारी कहा बाहर गया है या उसकी माँ बिमार है इत्यादि । कई बार वो ऑफिस के अकाउंटेंट को भी इस गलत काम मे शामिल कर लेता है, वो उधारी जो बाजार लाता है उसे बिना मालिक को बताये अकाउंटेंट को कुछ हिस्सा देकर कंप्यूटर मे जमा दिखा देता है । कई बार वो माल तो कैश मे बेच देता है पर ऑफिस आकर उसे उधारी मे दिखा देता है । ऐसे मे डिस्ट्रीब्यूटर क्या करे ? उसे जिन लोगो को उधारी दी गयी है के फोन नंबर इत्यादि अपने पास रखने चाहिये । उधारी दी जाने के बाद उसे संबधित व्यापारी से कनफर्म करना चाहिए कि उधारी दी गयी है । साथ ही पुछना चाहिए कि वो उधारी कब क्लीयर करेगा । उस डेट पर उसे खुद व्यापारी को फोन करना चाहिए । समय समय पर अकाउंटेंट के साथ बैठ कर Sundry Debtors की जानकारी लेनी चाहिये ।
- स्टाफ द्वारा माल की चोरी करना। अगर आपका गोदाम आपके ऑफिस से कही दूसरी ओर है या आपके पास दो तीन गोदाम है तो ये स्वाभविक है कि आप एक ही समय मे दो गोदाम मे उपस्थित नही रह सकते हैं । एसी स्थिति मे स्टाफ द्वारा माल की चोरी करने की संभावना बड़ जाती है । ऐसी मे डिस्ट्रीब्यूटर क्या करे? अगर घर मे कोई व्यक्ति जैसे पिता, माता, पत्नी भाई इत्यादि हो तो जब दो गोदामो से एक ही समय माल निकल रहा हो तो एक जगह आप चले और दूसरी जगह आप अपने घर के किसी व्यक्ति जिनका अभी जिक्र किया है को भेज देवे । अगर घर का कोई भी व्यक्ति इस काम के लिये नही है तो अपने बहुत ही भरोसेमंद स्टाफ को दुसरे गोदाम मे भेज देवे । और जब आप फ्री हो तो उस दुसरे गोदाम मे जहा भरोसेमंद स्टाफ को भेजा था की CCTV केमेरा की रिकार्डिंग चेक करे ।
- बाज़ार मे उधारी समय पर नहीं आना या उधारी का डूब जाना। कई बार बाजार मे अत्याधिक उधारी हो जाती है व परिणामस्वरूप हमारी वर्किंग केपीटल गड़बड़ा जाती है । कई बार जिसे उधारी दी है की डेथ हो जाना या उसका दिवालिया हो जाना । ऐसी स्थिति से डडिस्ट्रीब्यूटर कैसे निपटै? सबसे पहले तो जिसको उधारी दी जा रही है की उधार की लिमिट तय करे ।हर व्यापारी जिसको उधार दी जाती है से एक सिक़्युरिटी चेक अवश्य लेवे। तय करी हुयी लिमिट की उधारी भी नही आ रही है तो उस व्यापारी के पास जाकर पता करे कि क्या कारण है जिसकी वजह से उधारी नही आ रही है ? अगर आपके द्वारा दिया गया माल उसके पास नही बिक रहा है तो उसे वापस ले लेवे ताकि आपकी उधारी उस माल की कीमत पराबर कम हो जायेगी । बाकी माल की उधारी की किश्त बांध लेवे । अगर किश्त बांधने से भी उधारी आने की गुंजाइश नही हो तो उलकी दुकान मे जो दुसरा माल है जो आपके घर या ऑफिस में काम आने वाला हो तो वो लेकर अपनी उधारी वसुलने की कोशिश करे । ये सब करने की भी गुंजाइश नही हो तो जो सिक़्युरिटी चेक आपके पास है उसे बैंक मे पार्टी को बता कर बैंक मे डाल दै । अगर पार्टी को अपनी इज्जत प्यारी है तो वो चेक को पास कराने की जरूर कोशिश करेगा । अगर चेक डिसऑनर हो जाये तो अपने वकील के माध्यम से डिफाल्टर पार्टी को नोटिस भिजवा कर कानूनी प्रकिया अपना़ये । हॉलाकि कानूनी प्रकिया बहुत लंबी है व जहा तक संभव हो इससे बचने की ही कोशिश करे ।
- बैंक की OD का सही उपयोग नहीं करना। आजकल हर व्यापारी बैंक द्वारा दी जाने वाली सुविधा के अंतर्गत बैंक से OD लेता ही है । इस OD के लिए बैंक आपका घर, ऑफिस या कोई और प्रौपर्टी रहन रखता है । जो कि एक बहुत ही रिस्क भरा काम हो सकता है अगर हम OD का सही उपयोग ना करे व किसी वजह से हम OD नही चुका पाये तो बैंक वो प्रौपर्टी अधिग्रहीत भी कर सकता है । मैने कई डिस्ट्रीब्यूटर को देखा है कि वो OD तो ले लेते है पर उसका सही उपयोग नही कर पाते हैं । कुछ लोग OD के पैसे से मकान खरीद लेते हैं या मकान मे रिपेयर करा लेते या विदेश घुमने फिरने चले जाते हैं या यार दोस्तों मे बैठ कर मांस, मदिरा व वेश्यागमन मे लग जाते हैं । नतीजा यह होता है कि OD का ब्याज व मूल समय पर बैंक मे जमा नही हो पाता है । और साथ ही साथ जिस काम के लिये बैंक से OD ली गयी थी वो काम हो नही पाता है । याने कि व्यापार मे पैसा कम पड़ने लगता है। नतीजनत व्यापार फेल हो जाता है ।ऐसे हालात मे डिस्ट्रीब्यूटर क्या करे? जब आपको OD मिलती है तो सबसे पहले यह तय करे कि OD का उपयोग तब ही करे जब बहुत ही आवश्यक हो । चूंकि OD
- बैंक की OD पूरी उपयोग मे लेने के बाद OD का ब्याज समय पर जमा नहीं कराना। कई बार बैंक की OD समाप्त हो जाने के बाद ब्याज चुकाने के लिए जब पैसा नही बचता है तो कुछ लोग कही ओर से पैसा ब्याज पर ले लेते हैं और OD का ब्याज चुकाते है । पर जो पैसा लिया है उसका ब्याज नही चुका पाते हैं । इस तरह ब्याज पर ब्याज बड़ता जाता है, और बात बिगड़ जाती है।
- समय समय पर फिजिकल स्टॉक को कम्प्युटर स्टॉक से मिलना नही कराना।
- हर माह फिजिकल माल का मूल्य, बाज़ार मे उधारी, कम्पनी मे क्लैम की बकाया रकम,,हाथ मे पेसा। इन सब का जोड़ अपना पेसा जो लगाया है से तुलना नहीं कराना।
- व्यापार मे ध्यान नही देकर सिर्फर दोस्तो के साथ मोज मस्ती करना।
- कम्पनी द्वारा कम चलने वाला ज्यादा माल दे देना। कई बार कंपनी या तो कम चलाने वाला या मियाद की नजदीक माल भेज देती है । जिसकी वजह से पेसा रुक जाता है.
- कम्पनी द्वारा स्कीम चलवा कर उसका भुगतान नहीं करना।। कई बार कंपनी वाले अपने लेवेल पर स्कीम चला देते हे ओर ये कहते हे की बाद मे अदजस्त करा देंगे, पर वो कराते नहीं है।
- कम्पनी द्वारा जबर्दस्ती माल भेज देना। बिना ऑर्डर के दूसरा माल भेज देने।
- कंपनी के आदमियो द्वारा समय समय पर उधारी मांग कर वापस नहीं लोटाना।
- अगर आफिस मे CCTV केमेरे लगे हुये है तौ समय समय पर उसकी रेकोर्डिंग नहीं चेक करना ।
- घर खर्च के लिए अनाप शनाप पेसा निकालना।
- हर किसी को उधार देना और वापस उसका नहीं आना।
- अगर व्यापार की जगह किराए की है तौ उसका बहुत ज्यादा किराया होना
- टेक्स कंसल्टेंट द्वार सही राय नहीं देना। आगर डिस्ट्रीबूटोर कुछ गलती करता है तो उसे अपने client को सही राय देना चाइए।
इस प्रकार और भी कई कारण है जिसकी वजह से FMCG कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर्स फेल हो जाते है। इस लाइन मे मार्जिन तो सिर्फ 4 या 5 % का होता है । जिसको हमे बहुत ही देख भाल कर व्यापार करना होता है। जरा सी भी चूक हो गई तो घाटा निश्चित है।
Leave a Reply
You must be logged in to post a comment.