जी हाँ ये परम सत्य है पंचक में करें ये कार्य मिलेगी सफलता यदि आपका कोई सरकारी कार्य अटका हुआ है तो सोमवार या बुधवार से शुरू होने वाले पंचक का इन्तजार करें। यदि आप सोमवार या बुधवार से शुरू होने वाले पंचक में कोई सरकारी कार्य करते हैं तो आपके कार्य के पूरे होने की सम्भावना बढ़ जाती है। सोमवार व बुधवार को शुरू होने वाले पंचक को ‘राजपंचक’ कहते हैं। यह पंचक शुभ माना जाता है। इसके प्रभाव से इन पांच दिनो में सरकारी कार्यों में सफलता मिलती है। इसमें संपत्ति से जुड़े काम करना शुभ रहता है।
चंद्रमा का धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण और शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण पंचक का कारण बनता है ।
पंचक काल में लकड़ीखरीदना, घरकी छत डालना, दक्षिण दिशा की यात्रा करना, पलंग बनाना या खरीदना, और मृत व्यक्ति का दाह संस्कार करना वर्जित माना गया है। हर माह में आने वाले पंचक सप्ताह के सात दिनों में से किसी भी दिन शुरू हो सकते हैं। इनका प्रभाव भी अलग होता है।
रविवार को शुरू होने वाले पंचक को ‘रोग पंचक’ कहते हैं। इसके प्रभाव से पांच दिन शारीरिक और मानसिक परेशानी के होते हैं। इसमें कोई शुभ कार्य न करें।
मंगलवार व गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक को ‘अग्नि पंचक’ कहते हैं। इन पांच दिनों में कोर्ट-कचहरी और विवाद आदि के फैसले, अपना हक प्राप्त करने वाले काम करने चाहिए। इसमें निर्माण कार्य, मशीनरी का काम शुरू करना अशुभ माना है।
शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को ‘चोरपंचक’ कहते हैं। इस पंचक में यात्रा न करें। इसमें व्यापार, लेनदेन और कोई भी सौदा करने से बचें।
शनिवार को शुरू होने वाला पंचक ‘मृत्यु पंचक’ होता है। यह पंचक मृत्यु तुल्य कष्ट देने वाला होता है। इन पांच दिनों में कोई भी जोखिम भरा काम न करें। इसके प्रभाव से विवाद, चोट, दुर्घटना का खतरा रहता है। पंचक के नक्षत्रों के प्रभाव धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
पंचक के नक्षत्रों के प्रभाव
धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
शतभिषा नक्षत्र में कलह होने का जोखिम रहता है।
पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने का खतरा रहता है।
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में आर्थिक दंड की संभावना होती है।
रेवती नक्षत्र में धन हानि का खतरा रहता है।